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Sunday, 15 November 2020 16:34

कभी सात दिन मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार सातवीं बार लेंगे शपथ

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बिहार विधानसभा चुनाव में चुनाव जीतने के बाद एनडीए को अब बिहार में सरकार गठन में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। रविवार को बिहार बीजेपी विधायक दल की मीटिंग में नीतीश कुमार को एनडीए का नेता और सीएम बनाने का एलान हुआ। बीजेपी नेताओं की मीटिंग में कुछ नेताओं ने हसरत जतायी कि राज्य में मुख्यमंत्री सीएम का होना चाहिए। हालांकि नेताओं की इन मांग पर सीनियर नेताओं ने कुछ नहीं लेकिन पार्टी जरूर इतना जरूर कहा है कि इस बार सत्ता में उनकी हिस्सेदारी पहले से कहीं अधिक रहेगी। राज्य की 243 सदस्य वाली विधानसभा में बीजेपी के 74 और जेडीयू के 43 मेंबर हैं।हालांकि बाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने हुई एनडीए की मीटिंग में नीतीश कुमार ने बीजेपी को जरूर ऑफर किया कि अगर उन्हें लगता है तो वे अपनी पार्टी से किसी को सीएम बना सकते हैं लेकिन बीजेपी ने कहा कि वही नेता बने रहेंगे। लेकिन अगले कुछ घंटे बाद बीजेपी ने साफ संकेत दे दिया कि सरकार का चेहरा जरूर नीतीश कुमार रहेंगे लेकिन इस बार बीजेपी खुद को बड़े भाई की तरह सत्ता में हिस्सेदारी रखेगी।तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी इन दो नाम को चुनने के पीछे बीजेपी की खास रणनीति दिख रही है। अगर ये दोनों मंगलवार को शपथ लेते हैं तो इसके पीछे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग मानी जाएगी। तारकिशोर प्रसाद पिछड़ी जाति से हैं और राज्य के कटिहार सीट से पिछले तीन बार से लगातार जीत रहे हैं। कटिहार बिहार के सीमांचल इलाके से आते हैं। इस बार बिहार में कांटे के मुकाबले में एनडीए को मिली जीत के लिए सीमांचल का अहम योगदान दिया जा रहा है। ताराकिशोर को चुन कर बीजेपी यह संदेश दे सकती है कि जिस इलाके ने पार्टी को सत्ता तक पहुंचाया है तो उसका खास ध्यान रखा जाएगा। साथ ही पिछड़े वोटरों के बीच भी संदेश देने की कोशिश की है। उसके अलावा रेणु देवी राज्य के बेतिया इलाके से आती है। वह बीजेपी की पुरानी नेता रही हैं। बेतिया चंपारण इलाके से आता है और यहां भी बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। शुरू से यह इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। साथ ही महिला और अति पिछड़ा,दोनों तबका बीजेपी के लिए इस चुनाव में साइलेंट वोटर साबित हुआ है। रेणु देवी का चयन कर बीजेपी ने एक साथ दोनों तबके को एक साथ साधने की कोशिश की है।

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