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Friday, 22 January 2021 18:32

केंद्र और किसान संगठनों की 11वें दौर की वार्ता बेनतीजा

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केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों को लेकर करीब 2 महीने से किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए शुक्रवार को 3 केन्द्रीय मंत्रियों ने किसान समूहों के प्रतिनिधियों के साथ 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा निकली। सूत्रों के अनुसार सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं। हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में कहा कि किसान एक बार फिर सरकार के कानून स्थगन के प्रस्ताव पर विचार करें। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर विकल्प नहीं दिया जा सकता। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा,‘मैं बड़े भारी मन से यह बात कह रहा हूं कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों की ओर से कोई भी सकारात्मक रिस्पांस नहीं आया।’ वहीं किसान नेताओं ने कहा कि हम तीनों कानून रद्द करने की अपनी मांग पर कायम हैं, आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि अब बातचीत की अगली तारीख तय नहीं है।

 उल्लेखनीय है कि पिछले चरण की वार्ता बुधवार को हुई थी, जिसमें केंद्र ने तीनों कानूनों के क्रियान्वयन को 12 से 18 महीने तक निलंबित करने तथा मुद्दों के समाधान के लिए संयुक्त समिति बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि बृहस्पतिवार को किसान संघों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और अपनी दो मांगों पर अड़े रहे। इनमें तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की मांग शामिल है। किसान समूहों ने कहा कि वे प्रदर्शन जारी रखेंगे और गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली भी निकालेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने यहां विज्ञान भवन में करीब 41 किसान संघों के प्रतिनिधियों से वार्ता की। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों समेत हजारों किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े कॉरपोरेट घरानों की ‘कृपा' पर रहना पड़ेगा। हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है।

 

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