मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी हैं, जिसे महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से जानते हैं. इस दिन इनकी पूजा की जाती है ताकि हमें हर पाप से मुक्ति मिले. कई वर्षों तक कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग गौर वर्ण का हो गया था, भगवान शिव ने उनको गौर वर्ण का वरदान दिया, जिससे वो महागौरी कहलाईं. आज के दिन माता महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही सुख-समृद्धि में कोई कमी नहीं होती है. महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विधान है,हा जाता है कि कन्याएं मां दुर्गा का साक्षात् स्वरूप होती हैं, इसलिए नवरात्रि के अष्टमी को कन्या पूजा की जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे करें मां की पूजा.......
कौन हैं महागौरी
नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं महागौरी, भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनको दर्शन देकर से मां का शरीर कांतिमय कर दिया तब से इनका नाम महागौरी पड़ा. माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए महागौरी की पूजा की थी. महागौरी श्वेत वर्ण की हैं और सफेद रंग मैं इनका ध्यान करना बहुत लाभकारी होता है. विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है.
कैसे करें महागौरी की पूजा
महागौरी की पूजा पीले कपड़े पहनकर करें, इसके बाद मां के सामने दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. इसके बाद सफेद या पीले फूल चढ़ाएं औऱ उनके मंत्रों का जाप करें, इसके बाद मध्य रात्रि में इनकी पूजा करें.
अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा
नवरात्रि नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है. इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है. हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है, लेकिन अष्टमी और नवमी को कन्याओं की पूजा जरूर की जाती है. 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान बताया है. अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग-अलग रूप को दर्शाती है.
मां महागौरी की पूजा का महत्व
जीवन में छाए संकट के बादलों को दूर करने और पापों से मुक्ति के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है. महागौरी की आराधना से व्यक्ति को सुख-समृद्धि के साथ सौभाग्य भी प्राप्त होता है.
मां महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
महागौरी मंत्र
1. माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।
- ओम देवी महागौर्यै नमः।