दोस्तों आपने पहले के लेख में जरूर पढ़ा होगा कि एफ़आईआर क्या होती है? चार्जशीट क्या होता है? इसके बारे में हम बहुत चर्चा करते हैं लेकिन एक बहुत कॉमन वर्ड है NCR एनसीआर के बारे में बहुत कन्फ्यूजन होता है बहुत सारे लोग नहीं जानते हैं, उन्हें लगता है कि पुलिस ने कुछ ख़ास नहीं किया| पुलिस ने बस खानापूर्ती करके वापस भेज दिया है| तो NCR क्या होती है इस लेख में हम आपको बताएँगे|
NCR क्या है और पुलिस द्वारा NCR कब दर्ज की जाती है? यह जानना आपके लिए बहुत जरूरी है| भारतीय क़ानून में अपराधों को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा है| पहले इन श्रेणियों को समझ लीजिये| यहाँ विभाजन अपराधों की प्रकृति के आधार पर किया गया है|
पहला है संज्ञेय अपराध और असंज्ञेय अपराध दूसरा जमानतीय अपराध और गैर जमानतीय अपराध और तीसरा है समझौते योग्य अपराध और गैर समझौते योग्य अपराध| जब संज्ञेय अपराध से सम्बंधित घटना की सूचना थाने में देकर उस सूचना के आधार पर शिकायत दर्ज कराई जाती है तो ऐसे में पुलिस उस सूचना के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करती है, जिसे FIR कहते हैं|और उसकी एक कॉपी शिकायतकर्ता को दे दिया जाता है| FIR दर्ज हो जाने के बाद पुलिस उस घटना की जांच प्रारम्भ कर उसकी रिपोर्ट सम्बंधित न्यायालय में पेश करती है|
यदि यही असंज्ञेय अपराध यानी अधिक गंभीर ना होकर छोटे मामले के अपराध जैसे छोटी-मोटी चोरी, हल्की फुल्की लड़ाई जिसमे अत्यधिक चोटें या गंभीर चोटे ना आईं हों तो इस तरह के मामले में आमतौर से एनसीआर दर्ज किया जाता है| इस घटना की सूचना, जब भी ऐसी घटना होती है, तो इस घटना की सूचना जब आप पुलिस को देते हैं तो और पुलिस जब शिकायत को रजिस्टर्ड करती है उसे एनसीआर के रूप में दर्ज करती है|
अब NCR का फुल फॉर्म भी जानना जरूरी है| NCR को नॉन कांग्निजेबल रिपोर्ट कहते हैं, यानी असंज्ञेय अपराध| अब नॉन कांग्निजेबल रिपोर्ट के रूप में दर्ज कर लेने के बाद से क्या होता है? अब इसका मतलब ये नहीं है कि ये रिपोर्ट निर्थक या फर्जी हो गयी, इस रिपोर्ट की भी उतनी ही वैल्यू होती है| लेकिन ये छोटे मोटे मामलों में होता है जैसे मोबाईल चोरी हो गयी, मामूली झगड़े हो गए, मामूली अपराध हो गए, ऐसे अपराध में दर्ज किये जाते हैं, चूंकि ये अपराध काफी गंभीर नहीं होते इसलिये इसके लिए FIR की जगह बहुत ज्यादा इन्वेस्टीगेशन करने की रिक्वायरमेंट नहीं होती है| इसलिए FIR की जगह पर NCR दर्ज करवाई जाती है|
आपको यह भी वता दें कि जैसे FIR दर्ज होने के बाद आपको कॉपी मिलती है वैसे ही NCR दर्ज होने के बाद भी जो शिकायतकर्ता है उनको निशुल्क कॉपी दिया जाता है| अब यह भी जानना दिलचस्प है कि NCR के बाद से क्या प्रोसेस होता है? एक बार जब NCR दर्ज हो गया तो क्या होता है? NCR दर्ज कर लेने के बाद पुलिस मामले की जांच और खोजबीन में लग जाती है| जांच और खोजबीन के आधार पर पुलिस उस घटना से सम्बंधित एक रिपोर्ट बनाती है और इस रिपोर्ट को सम्बंधित न्यायालय में पेश भी करती है| यदि जांच या खोजबीन के दौरान चोरी या खोयी हुई सम्पत्ती की रिकवरी हो जाती है तो ऐसे में पुलिस उस संपत्ति को कानूनी औपचारिकताएं पूरी हो जाने के बाद शिकायतकर्ता को सौंप देती है| यदि चोरी या खोयी हुई सम्पत्ती खोजबीन के दौरान रिकवरी ना हो पाए तो ऐसे में पुलिस अपनी रिपोर्ट में समपत्ती की रिकवरी ना हो पाने का स्टेटमेंट लगाकर न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल कर देती है, क्लोजर रिपोर्ट भी इसको कहते हैं| और उसके बाद से मामला समाप्त हो जाता है| तो इस लेख के माध्यम से आपने ने NCR और FIR के बीच में भेद समझ लिया होगा|