Hottest News
Advt....
अक्षय की फिल्म ‘बच्चन पांडे’ की रिलीज डेट से उठा पर्दा
Written by Scanner India News Networkमुंबई। काफी समय से अक्षय कुमार की फिल्म को लेकर काफी खबरें सामने आयी है। फिल्म से अपना लुक भी अक्षय कुमार ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था। लॉकडाउन के बाद फिल्म की कास्ट को फाइनल करके इस फिल्म की शूटिंग शुरू की गयी है। फिल्म के कई हिस्सों पर काम चल रहा हैं। इसी बीच फिल्म की रिलीज डेट की भी घोषणा की गयी हैं। सुपरस्टार अक्षय कुमार ने शनिवार को घोषणा की कि उनकी बहुप्रतीक्षित एक्शन-कॉमेडी फिल्म बच्चन पांडे 26 जनवरी 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। कुमार (53) ने ट्विटर पर साजिद नडियाडवाला द्वारा निर्मित फिल्म की रिलीज की तारीख साझा की। उन्होंने ट्वीट किया, उनका एक लुक ही काफी है! बच्चन पांडे 26 जनवरी, 2022 को रिलीज होगी।
भारत-चीन के बीच 9वीं कमांडर स्तर सैन्य वार्ता, चुशलू सेक्टर के मोल्ड में होगी बैठक
Written by Scanner India News Networkभारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रहे तनाव के बीच रविवार को 9वीं कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता होगी। इस वार्ता का मुख्य लक्ष्य पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष के मई के महीने से जारी तनाव का समाधान निकालना है। दोनों देशों के बीच यह वार्ता चुशलू सेक्टर के सामने मोल्ड में होगी। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच इससे पहले 8 बार सैन्य वार्ता हो चुकी है। लेकिन फिर भी कोई समाधान निकलता नहीं दिखा। ऐसे में रविवार को होने वाली बैठक में क्या नतीजा निकलता है इस पर दोनों देशों की निगाहें होगी। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।
संस्कारों के पर्व लोहड़ी का है खास महत्व
Written by Scanner India News Networkलोहड़ी , यह त्योहार उत्तर भारत के प्रसिद्ध पर्वों में से एक है। लेकिन पंजाब और हरियाणा में इस पर्व की रौनक देखने लायक होती है। इस त्योहार में न केवल बच्चे बल्कि बुजुर्ग भी भरपूर सहयोग करते हैं, तो आइए हम आपको लोहड़ी से जुड़े पारंपरिक कहानियों और रिवाजों के बारे में कुछ खास जानकारी देते हैं। लोहड़ी हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले रात को धूमधाम से मनायी जाती है। यह त्यौहार हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है। कभी-कभी मुहूर्त के कारण लोहड़ी 14 जनवरी को भी मनायी जाती है। इस साल लोहड़ी पूरे भारत में 13 जनवरी यानी आज मनायी जा रही है। लोहड़ी मुख्य रूप से सिख समुदाय का त्योहार माना जाता है लेकिन आजकल पूरे भारत में मनाया जाता है। भारत में लोहड़ी पंजाब और हरियाणा में खासतौर से मनायी जाती है।
केंद्र और किसान संगठनों की 11वें दौर की वार्ता बेनतीजा
Written by Scanner India News Networkकेंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों को लेकर करीब 2 महीने से किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए शुक्रवार को 3 केन्द्रीय मंत्रियों ने किसान समूहों के प्रतिनिधियों के साथ 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा निकली। सूत्रों के अनुसार सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं। हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में कहा कि किसान एक बार फिर सरकार के कानून स्थगन के प्रस्ताव पर विचार करें। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर विकल्प नहीं दिया जा सकता। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा,‘मैं बड़े भारी मन से यह बात कह रहा हूं कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों की ओर से कोई भी सकारात्मक रिस्पांस नहीं आया।’ वहीं किसान नेताओं ने कहा कि हम तीनों कानून रद्द करने की अपनी मांग पर कायम हैं, आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि अब बातचीत की अगली तारीख तय नहीं है।
उल्लेखनीय है कि पिछले चरण की वार्ता बुधवार को हुई थी, जिसमें केंद्र ने तीनों कानूनों के क्रियान्वयन को 12 से 18 महीने तक निलंबित करने तथा मुद्दों के समाधान के लिए संयुक्त समिति बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि बृहस्पतिवार को किसान संघों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और अपनी दो मांगों पर अड़े रहे। इनमें तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की मांग शामिल है। किसान समूहों ने कहा कि वे प्रदर्शन जारी रखेंगे और गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली भी निकालेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने यहां विज्ञान भवन में करीब 41 किसान संघों के प्रतिनिधियों से वार्ता की। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों समेत हजारों किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े कॉरपोरेट घरानों की ‘कृपा' पर रहना पड़ेगा। हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है।
भारत ने गाबा पर खत्म की आस्ट्रेलियाई बादशाहत
Written by Scanner India News Networkआदर्श युवा संगठन द्वारा आमरण अनशन ,नगवां टॉल प्लाजा को बंद करने की मांग
Written by संवाददाता शंकर प्रसाद गुप्ता , राजेश कुमार , संदीप कुमार मोदीहजारीबाग नगवां टॉल प्लाजा को आदर्श युवा संगठन ने अवैध बताते हुवे केंद्र सरकार से बंद करने की मांग की है पांच दिनों से आमरण अनशन मे बैठे ए वाई एस अध्यक्ष गौतम कुमार ने खास बातचित में बताया कि 50किलोमीटर के अंदर ही दो टॉल प्लाजा हो जा रहा है जो की नही होना चाहिए। जिला प्रशासन और एनएचएआई के मिलीभगत से नगवां टॉल प्लाजा छभ्33 में बनाया गया है चुकी पचास किलोमीटर के अंतर्गत छभ्2 बरही में टॉल प्लाजा स्थित है जिससे वहाॅं के ग्रामीणों को यातायात में काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ेगा ,टॉल प्लाजा बनने से पूर्व एनएचएआई द्वारा बात कही गई थी की नजदीकी ग्रामीणों को टॉल प्लाजा में नौकरी दिया जाएगा और साथ ही 25 से 30 किलोमीटर के क्षेत्र मे चार पहिया वाहनो का टोल टैक्स माफ होगा, लेकिन टोल प्लाजा बन जाने के बाद एनएचएआई इस बात से इंकार कर दे रहा है। इस बाबत हमलोगों ने 26 दिसंबर को रोड जाम किया ,सांसद विधायक का पुतला दहन किया, लेकिन केंद्र सरकार या एनएचएआई ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया नही दिखाई। उन्होंने बताया कि जब हमलोग रोड टैक्स देते है तो फिर टॉल टैक्स क्यों। गौतम कुमार ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार और एनएचएआई हमारी मांगों को पूरी नहीं करती तब तक हमलोग अनशन में बैठे रहेंगे । और गौतम कुमार से मिलने सैकड़ो लोग नगवां टॉल प्लाजा के पास गए उनका समर्थन भी किया , और बजरंग क्लब बरकट्ठा के सभी सदस्य आदर्श युवा संगठन का समर्थन करते हुवे आंदोलन में भाग लेने की बात कही । मौके पर अनशन में गौतम कुमार ,संदीप कुमार मोदी, छात्राधारी मेहता,मनीष कुमार पुरुषोत्तम कुमार ,राजेश कुमार , जीतेन्द्र कुमार , डुग्गु कुमार, संदीप कुमार, बजरंग क्लब बरकट्ठा के सदस्यगण सतीश मोदी, बबलू कुमार पांडेय, शंकर गुप्ता ,रामानंद ,विक्की, अनिल, दीपक मालाकार,मुन्ना रविदास समेत कई लोग शामिल थे ।
पूजा भारती पूर्वे हत्याकांड के मामले को लेकर झारखण्ड यूथ फेडरेशन द्वारा निकाला गया कैंडल मार्च
Written by बरकट्ठा संवाददाताबरकट्ठा । विगत दिनों हजारीबाग में रहने वाली मेडिकल छात्रा पूजा भारती पूर्वे की बेरहमी से हत्या कर पतरातू डैम में हाथ पैर बंधा उसका शव मिलने के बाद पुलिस अब तक अपराधियों तक पहुंचने में नाकाम रही । इसलिए पूजा भारती पूर्वे को न्याय दिलाने के लिए चैतरफा विरोध शुरु हो गया है। झारखंड के प्रत्येक जिलों में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी की कड़ी में बरकट्ठा प्रखंड के सलैया पंचायत मे झारखंड यूथ फेडरेशन द्वारा कैंडल मार्च निकाला और पूजा भारती पूर्वे के लिए झारखंड सरकार एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों से न्याय की मांग की । कैंडल मार्च में मुख्य रूप से सलैया पंचायत मुखिया गोपाल प्रसाद ,झारखंड यूथ फेडरेशन अध्यक्ष सौरव कुमार ,सचिव मनोज कुमार, कोषाध्यक्ष विकास कुमार, मीडिया प्रभारी रंजन कुमार ,बजरंग क्लब के सदस्य शंकर गुप्ता ,बबलू पांडेय,सतीश मोदी ,अनिल कुमार, राजेश कुमार ,रामानंद ,दीपक ,विक्की,एवं शिक्षक गण अरुण जी , वीरेंद्र जी , इंद्रदेव जी एवं सैकड़ों गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे ।
हजारीबाग बरकठा। सूर्यकुण्ड धाम मे मेला के आयोजन को कोरोना काल को देखते हुए रोक लगा दिया गया, जिसमे देश प्रदेश के लोग गर्म कुंड तथा मेले का आनंद लेने पहुंचते थे । लेकिन इस बार मेले नहीं लगने से लोगो को उदासी छा गई। यह कुंड भारत का सबसे अधिक गर्म कुंड है जहाँ 88डिग्री से भी अधिक तापमान मे उबलता हुआ कुंड है जिसमे लोग आंवला डाल कर अपनी मन्नत को मांगते है और अपनी आत्मा को शांति देते है। यह एक पर्यटक स्थल है इस कुंड मे स्नान करने से लोगो को तन और मन को शांति तथा सुख मिलता है इस कुंड मे मकर संक्रांति के दिन अधिक संख्या मे लोगो को स्नान करते हुए झुण्ड दिखाई दिया।
दिव्य कल्याण आश्रम स्थित विधायक कार्यालय मे मनाई गई मकर संक्रांति
Written by Scanner India News Networkबरकट्ठा हजारीबाग । बरकठा के विधायक ने बड़ी धूम -धाम से मकर संक्रांति का पर्व मनाया। इस आयोजन मे बरकठा प्रखंड के कई गाँव के लोग सम्मिलित हुए और धूम धाम से मकर संक्रांति मनाए। हर वर्ष की भांति इस वर्ष अधिक से अधिक संख्या मे लोगों ने चूड़ा दही गुड़ और तिलकुट का आनंद लिया। इस कार्यक्रम को विधायक अमित कुमार यादव ने आयोजित किये ! कार्यक्रम मे पहुँचे हुए लोगांे को उन्होंने मकरसंक्रांति की सुभकामनाएॅं दी और अपने हाथो से चूड़ा दही खिलाया।
बरकट्ठा थाना में मकर संक्रांति को लेकर हुई बैठक
Written by Scanner India News Networkहजारीबाग। बरकट्ठा थाना के थाना प्रभारी श्री राजेंद्र कुमार महतो के द्वारा मकर संक्रांति को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमंे यह निर्णय लिया गया कि मकर संक्रांति पर्व के मौके पर आपस में शांति सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता है। पर्व के इस मौके पर क्षेत्र मे किसी भी प्रकार की अशांति का माहौल न हो। साथ ही थाना प्रभारी के द्वारा निर्देश दिया गया कि अगर कहीं भी किसी तरह कि ऐसी सूचना मिले तो हमें सूचित किया जाए। इस बैठक में मुखिया, पत्रकार बंधु, थाना इंस्पेक्टर, थाना प्रभारी और सामाजिक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
More...
आपसी सहमती से तलाक कैसे ले सकते हैं
Written by Scanner India News Networkआज कल तलाक होना एक आम बात हो गयी है| लोग पढ़े लिखें हैं खुद पर निर्भर हैं| कई बार ऐसा होता है कि पति पत्नी के विचार आपस में नहीं मिलते और तलाक लेना चाहते हैं लेकिन वो कोर्ट के चक्कर भी नही लगाना चाहते तो ऐसे में म्यूचुअल डिवोर्स उनके लिए काफी हेल्पफुल होता है|आइये जानते हैं कि आपसी तलाक लेते समय किन बातो का ध्यान रखें| इसके क्या फायदे और नुकसान हैं|म्यूचुअल डिवोर्स या आपसी सहमति से तलाक कैसे लिया जाता है उसकी प्रोसेस क्या होती है|
आपसी सहमती से तलाक या म्यूचुअल डिवोर्स का विवरण हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 13 B (1) और 13 B (2) में वर्णित है| आपसी सहमती से तलाक का केस फेमिली कोर्ट में फाइलकरना होता है| सबसे पहले ये सवाल उठता है कि किस जगह कोर्ट में केस डाला जाये| कोर्ट में केस करने के तीन क्षेत्र है–
- पहला वह जगह जहा पर पति.पत्नी की शादी हुई हो
- दूसरा - जहा पर पति.पत्नी पहली बार एक साथ रहे हो
- और तीसरा जहा परपति.पत्नी आखरी बार एक साथ रहे हो|
इन तीन जगह के अलावा आप किसी और जगह की कोर्ट में केस नही कर सकते है| आपसी सहमति से तलाक लेने की भी कुछ शर्ते होती हैं|आपसी सहमती के तलाक लेने के लिए पहली शर्त कि पति.पत्नी कम से कम एक साल से अलग रह रहे होने चाहिए|
और वो एक साल कभी से भी माना जा सकता है चाहे वो समय शादी के अगले दिन से ही क्यों ना शुरू हुआ हो|अलग रहने से मतलब ये है की वे दोनों एक छत के नीचे नही रहे हो| ना ही एक फ्लैट में दो कमरों में रह सकते है लेकिन एक ही अपार्टमेंट में अलग फ्लैट में रह सकते है| मतलब ये कि पता अलग होना चाहिए|एक और जरूरी बात पति.पत्नी के बीच अलग रहते हुए भी शारीरिक सम्बन्ध नही बनने चाहिए| अगर अलग रहते हुए भी शारीरिक सम्बन्ध बन जाते है तो पिछला समय नही गिना जाएगा|
लेकिन अगर कुछ ऐसा कारण बन रहा है जिसमे आप एक साल की समय सीमा का पालन नहीं कर सकते या कर पा रहे हैं तो हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 14 के अंतर्गत आवेदन करके इस 1 साल की समय सीमा को समाप्त करवा सकते है| लेकिन इसके लिए आपको कोर्ट के सामने उचित कारण देने होते है|
आपसी सहमती से तलाक की दूसरी जरूरी शर्त है कि ये बिना किसी दबाव के होना चाहिए| मतलब ये कि दोनों पक्षों ने तलाक के लिए कोइ दबाव ना बनाया हो|
आइये अब जान लेते हैं की कोर्ट में केस करने की कानूनी प्रकिर्या कैसे शुरू करें|आपसी सहमती से तलाक दो चरणों में होता है| इसके लिए कोर्ट में दो बार आवेदन करने होते है| इन्हे फर्स्ट मोशन और सेकेण्ड मोशन कहते है| इसके बाद तलाक हो जाता है
अब समझ लेते हैं कि फर्स्ट मोशन क्या होता है|.
आपसी सहमती से तलाक के लिए कोर्ट में हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 13B (1) के अंतर्गत आवेदन होता है जिसे फर्स्ट मोशन कहते है| इसमे दोनों पक्षों का शादी से पहले व बाद का नाम, पता, उम्र व शादी का स्टेट्स लिखा होता है| स्टेट्स से मतलब शादी से पहले की वैवाहिक स्तिथि से है जैसे की कोई इस शादी से पहले तलाक शुदा या विदुर रहा हो तो|
इसके अवाला इसमे दोनों पक्षों के एफिडेविट भी होते है| जो ये कहते हैं कि किये गए आवेदनों के कथन सत्य है| इसके अलावा लिखा होता है की दोनों पक्ष बिना किसी दबाव के आपसी सहमती से तलाक ले रहे है इनमे आपस में रहने का कोई समझोता नही हो सका है|
अगर कोई शर्त या लेन. देन होती है तो उसका विवरण होता है| ज्यादातर केसों में अग्रीमेंट बना कर उसकी कॉपी साथ लगा दी जाती है|
डाक्यूमेंट्स की बात करे तो दोनों पक्षों के एक.एक पासपोर्ट साइज़ फोटो जो की आवेदन के पहले पेज पर लगते है, शादी का कार्ड या शादी की कोई फोटो, पहचान व पते के लिए आधार कार्ड या पहचान पत्र जिसमे वही पता हो जो की आवेदन में दिया है, अगर नही तो उसके लिए अलग से एफिडेविट आदि देना होता है
इसके अलावा जैसे की उपर विवरण दिया है अगर पति.पत्नी की शादी को एक साल नही हुआ है या फिर वो एक साल से अलग नही रह रहे है तो 1 साल के पर्थिकरण को समाप्त करने के लिए हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 14 में एप्लीकेशन जो की इस आवेदन के साथ लगा सकते है|
कोर्ट दोनों पक्षों की दलीलों को सुन कर दोनों की स्टेटमेंट को रिकॉर्ड करती है तथा दोनों पक्षों के हस्ताक्षर अंगूठो के निशान के साथ लिए जाते है, ताकि कोई बाद में मुकर नही सके तथा दोनो पक्षों को उनके वकील identified करते है की ये दोनों वही सही व्यक्ति यानि पति.पत्नी है|
दूसरा चरण
दूसरा आवेदन यानि Second Motion हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 13 B (2) के अंतर्गत किया जाता है| जिसमे दुबारा से शादी से पहले व बाद का नाम, पता, उम्र व शादी का स्टेट्स लिखा होता है| इसके अलावा फर्स्ट मोशन हो चुका है इसका विवरण होता है|
साथ ही आपसी सहमती का प्रमाण भी होना चाहिए कि पति-पत्नी अपनी सहमति से तलाक ले रहे हैं|जिला न्यायालय में उन्हें आधार पेश करना होता है कि वे एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग.अलग रह रहे हैं और वे एक साथ नहीं रह सके हैं तथा वे इस बात के लिए परस्पर सहमत हो गए हैं कि विवाह का विच्छेद हो जाना चाहिए।
इस अधिनियम की उपधारा (1) के अनुसार अगर तलाक के आवेदन दिए जाने के 6 महीने के बाद और उस तारीख के 18 महीने पहले दोनों पक्षकारो के द्वारा अर्जी वापस नहीं ली जानी चाहिए| इसके बाद कोर्ट तलाक की डिक्री पारित करेगा|
अगर डाक्यूमेंट्स की बात करे तो इस प्रोसेस में एक बार फिर से दोनों पक्षों के एक एक पासपोर्ट साइज़ फोटो आवेदन के पहले पेज पर शादी का कार्ड या शादी का फोटो, आधार कार्ड या पहचान पत्र लगाया जाता है तथा साथ में पहले आवेदन यानी फर्स्ट मोशन के आदेश की सर्टिफाइड कॉपी भी लगाई जाती है|
वैसे तो दूसरा आवेदन याने सेकेण्ड मोशन पहले आवेदन यानी फर्स्ट मोशन के आदेश के पारित होने से 6 महीने बाद कभी भी कर सकते है| लेकिन 18 महीने से ज्यादा नहीं होना चाहिए|
इसमें कोर्ट के पहले आवेदन के आदेश की सर्टिफाइड कॉपी लेने के समय को नही गिना जाता है| लेकिन अगर दोनों पक्ष आवेदन के लिए 6 महीने का इन्तजार नही करना चाहते है तो इसके लिए लेकिन CPCकी धारा 151 में एप्लीकेशन लगा कर इस 6 महीने की समय सीमा को समाप्त करवा सकते है| ये एप्लीकेशन दूसरे आवेदन यानि सेकंड मोशन के साथ जाती है|
इसमें भी कोर्ट दोनों पक्षों की दलीलों को सुन कर दोनों की स्टेटमेंट को रिकॉर्ड करती है वकील दोनों पक्षों को Identified करते है और कोर्ट तलाक की दो डिग्रीया जारी करता है जो की दोनो पक्षों को एकएक ओरिजिनल डिग्री मिलती है| आप इस डिग्री की और भी सर्टिफाइड कॉपी कोर्ट में आवेदन करके ले सकते है|
इसके आलावा कुछ एनी बाते भी आपसे सहमति से तलाक के लिए जरूरी हैं|
पहली - आप अपने वकील वकील के द्वारा एक सैटलमेंट डीड यानी समझौता डीड MOU बनवा ले जिसमे समझोते की सभी बातें लिखी हो|
दूसरी जैसे की तलाक के बाद यदि बच्चा है तो उसकी कस्टडी किसके पास रहेगी|
तीसरी जरूरी बात पति द्वारा दी जाने वाली एकमुश्त राशि कितनी होगी, कब और कैसे उसकी पेमेंट की जायेगी|
चौथी जरूरी बात यदि दोनों पक्षों के बीच केस चल रहे हैं जैसे दहेज़, खर्चे यानी मेंटीनेंस धारा 125 CRPC काया घरेलु हिंसा का है तो उनको कब और कैसे विड्रो करना है|
पांचवी बात अगर पति और उसके अन्य घरवालों के खिलाफ कोई FIR धारा 498A /406 IPC में रजिस्टर्ड है तो उसे कैसे और कब हाई कोर्ट से खत्म करना है|
छठी बाद यदि कोई प्रॉपर्टी हैं तोए उनका बटवारा कैसे किया जाएगा? पत्नी को कितनी प्रॉपर्टी दी जाएगी?
सातवी बात पत्नी को उसका स्त्रीधन वापिस किया गया है या नहीं अगर करना है तो कब और कैसे किया जाएगा|
आठवी बात कोर्ट के खर्चो से सम्बन्धित जैसे FIR धारा 498A /406 IPC के केस को ख़त्म करवाना और आपसी सहमती से तलाक का खर्चा कौन उठाएगा| इन बातो पर भी सहमति बनाना जरूरी है|
नवी बात भविष्य में मेंटीनेंस या कोई और क्लेम किया जा सकता है या नहीं| अगर भविष्य में कोई क्लेम देना है या निरंतर पति को पत्नी को मेंटेनेंस देना है तो उसका जिक्र की कब और कैसे? ऐसी और भी बहुत सी बातें हैं? उपरोक्त सभी बातों का सेटलमेंट डीड में उल्लेख करना बहुत जरूरी है ताकि भविष्य में किसी भी पक्ष को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े|
10वी बात सब पैसो या कीमती समानए जेवर का लेन देन कोर्ट के सामने ही करे|
तो ये थी वो जरूरी बाते जो आपको ध्यान रखनी चाहिए|
कुछ और बाते हैं जो उन लोगो के लिए जानना जरूरी है जो आपसी सहमति से तालक चाहते हिं| जैसे कई बार ऐसा होता है कि फर्स्ट मोशन में ही काफी चीजे सैटल हो जाती हैं अगर ऐसे में पत्नी पैसा, मेंटीनेंस लेकर सेकण्ड मोशन में मुकर जाए तो पुरुष के क्या अधिकार होंगे|
तो ऐसे मेंअगर आपका समझोता लिखित में हुआ है और पत्नी फर्स्ट मोशन में पैसा ले कर सेकेण्ड मोशन में नही आये तो आप हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा धारा 13 B (2) के अंतर्गत फाइल करे और आपनी पत्नी को कोर्ट के द्वारा नोटिस पहुचाये| तब आपकी पत्नी को कोर्ट में साइन करने के लिए आना पडेगा, अगर वो नही आती है तो आप सिविल कोर्ट में अपनी पत्नी के खिलाफ रिकवरी का केस फाइल करके अपना पैसा और कीमती समान वापस ले सकते है|
अब लास्ट में एक बहुत ही इम्पोर्टेंट सवाल का जवाब दे देते हैं, कि क्या तलाक के बाद दोनों पक्ष शादी कर सकते है या फिर इस आपसी सहमती के तलाक को खत्म भी कर सकते है?
जी हां अगर पति. पत्नी तलाक होने के बाद दुबारा पति.पत्नी की तरह रहना चाहते है तो हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 10 के अनुसार कोर्ट में आवेदन करके वे अपनी तलाक की डिग्री को खत्म करवा सकते है|
तो ये थी आपसी सहमति से तलाक लेने के विषय में जानकारी| उम्मीद है ये वीडियो आपको पसंद आया होगा| वीडियो देखने के लये बहुत बहुत धन्यवाद|
जानिए क्या है यूथेनेसिया याइच्छा मृत्यु
Written by Scanner India News Networkइस लेख में हम एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर बात करेंगे| मुद्दा है इच्छा मृत्यु और इच्छा मृत्यु के लिए की जाने वाली वसीयत|इसमे हम बताएँगे इच्छा मृत्यु क्या होती है उससे जुडे क्या कानून हैं और यदि कोइ इच्छा मृत्यु लेना चाहता है तो क्या वो इस बारे में पहले से ही डिक्लेयरकर सकता है|हर कोइ चाहता है कि वो इस दुनिया से चलते हाथ पैर चला जाए| यानी उसे कोइ ऐसी बीमारी ना हो जाए या ऐसी हालत ना हो जाए कि उसे दूसरो के ऊपर निर्भर होना पड़े| लेकिन फिर भी जीवन में कुछ भी हो सकता है| यदि कभी ऐसी स्थिति आ जाए वो व्यक्ति इच्छा मृत्यु यानी यूथेनेसिया का सहारा ले सकता है| हालांकिइच्छामृत्यु या मर्सी किलिंग पर दुनियाभर में बहस जारी है। इसमे क़ानून के अलावा मेडिकल और सामाजिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। कई ऐसी बीमारियाँ हैं जिनके चलते कष्ट भोग रहे लोगो को इच्छामृत्यु की इजाज़त देने की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है। इसके लिए लोग वसीयत यानी लिविंग विल भी करते हैं| लिविंग विल अपने जीवन को सम्मान के साथ साप्त करने बारे में होती है| यानी की किसी बुरी स्थति में यदि उनका जीवन दूसरो पर बोझ बन जाए और उकसा कोइ इलाज ना हो तो वो अपनी इच्छा से मृत्यु को चुन सके|
यूथेनेसियाके प्रकार
इच्छामृत्यु दो प्रकार की होती है पहली - निष्क्रिय इच्छामृत्यु व 2- सक्रिय इच्छामृत्यु
इन दोनों में अंतर है|निष्क्रिय इच्छामृत्यु में मरीज जीवन रक्षक प्रणाली पर अचेत अवस्था में रहता है। वह तकनीकी तौर पर जिंदा रहता है, लेकिन उसका शरीर और दिमाग दोनों निष्क्रिय होते हैं। वह तकनीकी तौर पर जिंदा रहता है, इस स्थिति में उसे उसके परिवार की मंजूरी पर इच्छामृत्यु दी जा सकती है।
वहीं सक्रिय इच्छामृत्यु के मामले में मरीज खुद इच्छा मृत्यु मांगता है। ऐसे मरीजों के ठीक होने की उम्मीद खत्म हो जाती है या उनकी बीमारी लाइलाज होती है और बहुत शाररिक पीड़ा में होता है ऐसे में उसकी इच्छा पर उसे मृत्यु दी जा सकती है|
कोर्ट देता है ईजाजत
इधर भारत में भी 9मार्च 2018 को इच्छा मृत्यु को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिल गई है। कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में व्यक्ति को सम्मान और अपनी मर्जी से मरने की इजाजत दी है| सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए शर्त के साथ इच्छा मृत्यु को मंजूरी दी है। इसको लेकर कोर्ट ने सुरक्षा उपाय की गाइडलाइन्स भी जारी की है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका के जवाब में मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत यानी लिविंग विल को भी मान्यता दी है|कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है की अगर कोई लिविंग विल करता भी है तो भी मेडिकल बोर्ड की राय के आधार पर ही जीवन रक्षक उपकरण हटाए जाएंगे।श्लिविंग विलश् एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। या फिर इलाज न देकर इच्छा मृत्युदे दी जाये और इस कार्य में वह अपनी सहमती देता है|
इच्छा मृत्यु और वसीयत
हालांकि अभी इच्छा मृत्यु और लिविंग विल पर कानून में कोई प्रावधान नही है न ही इसके लिए कोई एक्ट बनाया गया है न ही कोई धारा या आर्टिकल हमारे सविधान में रखा गया है ये एक धारणा है जिनमे स्थितियों को देखते हुए कोर्ट एक निर्णय लेता है| ये कानून नहीं है | ऐसा हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी है जो की लिखित कानून का हिस्सा न हो कर भी कानून बन गये है| मतलब लोगो अपने जीवन और मृत्यु के बारे में निर्णय कर सकते हैं जिन्हें कानूनी, सामाजिक और मेडिकल हालातो के नजरिये से देखते हुए मान्य किया जा सकता है|
इच्छा.मृत्यु के लिए आवेदन
आइये जानते हैं कि कोइ व्यक्ति यदि इच्छा.मृत्यु लेना चाहे तो कैसे ले| इच्छा.मृत्यु किसी को भी उसके हालत के अनुसार ही मिलती है| इसके लिए कोर्ट व मेडिकल बोर्ड अपनी इजाजत देता है| मेडिकल बोर्ड की इजाजत जरूरी होती है ताकि वो ये बयान दे की इस बीमारी का कोई इलाज नही है या ये बीमारी व्यक्ति को बहुत ही ज्यादा दर्द और परेशानी दे रही है और इससे छुटकारा केवल मृत्यु ही है|
और भी कुछ बाते हैं जो जरूरी हैं
1-अगर कोई व्यक्ति पहले से लिविंग विल कर चुका है और उसमे अपनी बीमारी या ऐसे हालत होने का ब्यौरा दे चुका है तो उसकी इच्छा के अनुसार मेडिकल बोर्ड द्वारा इच्छामृत्यु दे दी जाएगी
2- अगर वह व्यक्ति सचेत है यानी कि वो बोल और समझ सकता है और किसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित है तो उसे कोर्ट से अनुमति लेकर ही इच्छा मृत्यु दी जाएगी| ऐसे में कोर्ट मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट व राय पर ही अपना निर्णय लेता है|
3 - और अगर कोई व्यक्ति बिना लिविंग विल किये ही कोमा में चला जाता है या फिर किसी ऐसी बीमारी का शिकार हो जाता है जिसमे की वो अपनी सहमती देने में असमर्थ है तो ऐसे हालात में उस व्यक्ति के परिजन कोर्ट में उस व्यक्ति के लिए इच्छा.मृत्यु की याचना कर सकते है ऐसे में कोर्ट का निर्णय ही अंतिम निर्णय होगा| ऐसा अधिकार कोर्ट ने अपने पास इसलिए रखा है ताकि इस कानून का दुरूपयोग नही हो सके| ये इच्छा मृत्यु के लिए जरूरी कंडीशंस है|
कैसे दी जाती है इच्छा.मृत्यु
अब प्रश्न उठता है कि इच्छा.मृत्यु लेने का तरीका क्या होता है|इच्छा.मृत्यु व्यक्ति को इस प्रकार से दी जाती है जिससे उस व्यक्ति को किसी भी प्रकार का दर्द नही हो| ये काम डॉक्टर्स और एक्सपर्ट टीम की निगरानी में होता है| इसमे डॉक्टर इच्छा मृत्यु लेने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को ह्रदय गति रोकने वाला इंजेक्शन दिया जाता है जिससे उसे पीड़ा रहित मृत्यु संभव हो पाती है|
क्या लिव-इन-रिलेशनशिप में बच्चा पैदा हो जाए तो क्या है क़ानून
Written by Scanner India News Networkसमय के साथ भारत में भी रिश्ते बदल रहे हैं इनमे एक रिश्ता है लिव-इन-रिलेशनशिप| मेट्रो कल्चर में पनपा ये रिश्ता अब छोटे शहरों में भी पहुँच गया है|हमसे अक्सर युवा लिव-इन-रिलेशनशिप से जुड़े बहुत सारे सवाल पूछते हें खास तौर से एक सवाल पूछा जाता कि क्या लिव-इन रिलेशन में रहने के लिए कोइ सर्टिफिकेट होता है|
आज हम इन्ही सब सवालों पर बात करेंगे कि लिव-इन रिलेशनशिप क्या होता है? क्या इसके कुछ कानून हैं| अगर लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए बच्चा पैदा हो जाए तो उसके माता पिता की संपत्ति में क्या अधिकार होंगे| क्या बच्चा पैदा हो जाने से लिव-इन-रिलेशनबदल कर पती पत्नी के रिश्ते में तब्दील हो जाएगा|लिव-इन-रिलेशनशिप में क्या रेप का चार्ज लग सकता है|आइये समझते हैं|
लिव इन रेलशनशिप का मतलब
पहले बात करते हैं कि लिव इन रेलशनशिप क्या होता है| लिव इन रिलेशन में कोइ भी दो बालिग़ लोग बिना शादी किये एक साथ रहने का फैसला करते हैं| दोनों स्वतन्त्र होते हैं| अगर इन्हें अलग होना होता है तो तलाक जैसी प्रोसेस की कोइ जरूरत नहीं होती|लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले कपल भारतीय कानून के अनुसार विवाहित नहीं माने जाते| भारत में अभी लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में कोई ठोस कानून भी नहीं है | लेकिन रिश्ते हैं तो कानूनी समस्याएँ भी हैं,आये दिन लिव में रहने वाले कपल अपनी समस्यायों को लेकर लोग थाने और कोर्ट पहुंचते है| और कोर्ट महिला सुरक्षा और पुरुष अधिकारों की रक्षा से जुड़े कानून के हिसाब से लिव इन कपल के मसलो का निपटारा करता है|
लिव-इन रिलेशन और सर्टिफिकेट
बात करते हैं सबसे महत्वपूर्ण सवाल की| ये सवाल सबसे ज्यादा पूछा गया है|कि क्या लिव इन में रहने के लिए कोइ सर्टिफिकेट बनता है|तो जवाब है नहीं लिव-इन में रहने का कोइ कानूनी सर्टिफिकेट नहीं होता| ये दो बालिग़ लोगो का एक छत के नीचे रहने का फैसला है|लेकिन कई बार आपके ऐसे सवाल काफ्रोड लोग फ़ायदा उठा लेते हैं वो आपसे नोटरी पेपर पर समझौता पत्र बनाकर अच्छा खासा पैसा ऐंठ लेते हैं| वो कहते हैं कि अब आपका रिश्ता लीगल हो गया| लेकिन ये एकदम फर्जी बात है|
लिव-इन में रहें की शर्तें
लिव इन में रहने का कोइ कानून नहीं है लेकिन इसकी कुछ शर्ते जरूर हैं जैसे कि लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए कपल का बालिग़ होना अनिवार्य है| यानी लडकी की उम्र 18 और लडके की उम्र 21 होनी चाहिए| क्योंकि अगर लडकी की उम्र कम हुई तो लडकी के घरवाले केस भी कर सकते हैं| लड़का भारी मुसीबत में पड सकता है| एक और बात कि लिव-इन-रिलेशनशिप का वैसे तो कोइ कानून नहीं है लेकिन अब ये घरेलु हिंसा कानून के दायरे में आता है| तो ज़रा संभल कर| क्योंकि लिव-इन-रेलशनशिप में कोइ बंधन नहीं होता| ये रिश्ता काफी अस्थिर सा होता है| ज़रा सी बात पर थाना कचेहरी हो सकते हैं|
लिव-इन-रिलेशनशिप की दूसरी जरूरी शर्त है दोनों को अविवाहित होना चाहिए या फिर तलाकशुदा या विधुर होना अनिवार्य है| अन्यथा इसे एडल्ट्री माना जाएगा|यानी कि आप एक वक्त में एक ही रिश्ते में रह सकते हैं|
लिव-इन-रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चे के अधिकार
अगर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते वक्त बच्चा पैदा हो जाए तो उसके क्या अधिकार होंगे और क्या तब उनका रिश्ता विवाहित कहलायेगा| तो जवाब है कि लिव-इन-रेलाशनशिप में पैदा होने वाले बच्चे को पिता का नाम और सम्पत्ति में पूरा हक मिलता ठीक वैसे ही जैसे एक जायज बच्चे को मिलता है|लेकिन आपको विवाहित नहीं माना जाएगा|
लिव-इन-रिलेशनशिप में लड़की के अधिकार
इन-इन-रिलेशनशिप का चौथा सवाल होता है कि क्या लिव-इनरिलेशनशिप टूट जाने के बाद लड़की कोर्ट से मेंटिनेंस ले सकती है जैसे एक पत्नी को मिलता है? तो इसका जवाब है बिल्कुल नहीं| लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला घरेलु हिंसा मामले में पुरुष को सजा तो दिलवा सकती है लेकिन इस तरह के केस में वो पत्नी की तरह मेंटीनेंस नहीं ले सकती|इसी से जुडा एक और सवाल है की क्या इसमे लड़की लडके के ऊपर रेप का चार्ज लगा सकती है| जवाब थोड़ा अजीब है लेकिन सच है| लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे रिश्तो का एक बड़ा आधार सेक्स और आपसी सामजस्य होता है| इसीलिए लिव-इन-रिलेशनशिप में रेप के चार्ज नहीं लगाए जा सकते है|
उम्मीद है कि लिव-इन से जुड़े कानूनी और इमोशनल मसलो पर आपको कुछ क्लियरेंस मिला होगा| ये रिश्ता जितना स्वच्छन्द और आजाद है उतना ही पेचीदा भी है| हमारी तो यही सलाह है कि लिव-इन-रिलेशनशिप मे जाने से पहले 100 बार विचार जरूर कीजिएगा|
अदालत में गवाही देते समय किन बातो का ध्यान रखे
Written by Scanner India News Networkअगर आप किसी केस में गवाह बनने जा रहे हैं या किसी केस में गवाही दे रहे हैं तो किन बातो का ध्यान रखना चाहिए| साथ ही ये भी बताएँगे किगवाही में क्या बोलना चाहिए और कब बोलना चाहिए और गवाह के रूप में आपके अधिकार क्या हैं|
सबसे पहले जब आप अपना बयान दर्ज करा रहे है तो ध्यान रखे की रीडर या पेशकार क्या लिख रहा है| दिल्ली में तो बयान टाइप करके लिखे जाते है तथा लिखते समय कोई गलती हो भी जाये तो उसको सुधारा जा सकता है पर बाकी राज्यों में हाथ से बयान लिखा जाता है इसलिए पूरा ध्यान रखिये कि क्या लिखा जा रहा है| उसे पढ़ने के लिए मांगिये|
दिल्ली में बयान होने के बाद गवाह उसके द्वारा दिए गए बयान को पढने के लिए दिये जाते है यह बयान टाइप होते हैं तो उन्हें पढ़ना आसान होता है| लेकिन जैसा कि हमने अभी बताया कि बाकी राज्यों जज का रीडर गवाह के बयान हाथ से लिखता है कई बार उनकी हैण्ड राइटिंग समझना बहुत मुश्किल हो जाता है तो अगर ऐसे में आपको कुछ समझ नहीं आ रहा तो तुरंत पूंछे कि क्या लिखा गया है| बेहतर तो ये होगा की बयान साफ व पड़ने लायक ही लिखवाए|
कई बार ऐसा होता है कि रीडर आपके द्वारा दिया गया बयान पढने के लिए नहीं देता|लेकिन आप कागज को लेकर अपने हस्ताक्षर करने से पहले पूरा पढ़ सकते है| अगर कोइ गलती है तो उसे सही करवा सकते है|
बयान दर्ज होने के बाद उसे पढ़ना गवाह का संवैधानिक और कानूनी अधिकार है! यदि रीडर आपके बयान या स्टेटमेंट पढने के लिए नहीं देता है तो आप इसकी शिकायत जज से कर सकते हैं|
गवाही देते समय एक महत्वपूर्ण बात ये है कि आप हमेशा जज की उपस्तिथि में ही अपने बयान दर्ज करवाएं|यदि जज उपस्थित नहीं तो आप अपने बयान दर्ज करने से मना करा सकते हैं ये आपका कानूनी अधिकार है| क्योंकि यही कानून है कि जज की उपस्तिथि में ही गवाह के बयान दर्ज किये जायेंगे|
बयान देने के तुरंत बाद आप उस बयान की कॉपी कोर्ट से फीस पे कर के उसी समय ले सकते है ये आपका अधिकार है|
अगर आप स्टेट केस में अदालत में गवाही देने के लिए आये है तो आप को पूरा अधिकार है की आप कोर्ट की गवाही से अपने पुराने बयानों को पढ सकते हैं और उनको याद कर सकते हैं ये आपका अधिकार है|
इसके अलावा अदालत में गवाही के बारे में और भी जरूरी बाते हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए|
अगर आप स्टेट केस में गवाह है और आपको अपने बयान दुबारा पढ़ने व याद करने के लिए उसकी कॉपी और अगली तारीख चाहिए तो कोर्ट आपको आपके बयान की कॉपी फ्री में देगा तथा बाद में याद करके आने के लिए समय भी देगा|
अगर आपको बयान देते समय सही वातावरण नही लग रहा है जैसे की आप से सवाल पूछने का तरीका सही नही है या जो आपको बोला जा रहा है वो भाषा ही आपको समझ नहीं आ रही है तो आप उस की शिकायत जज से कर सकते है तथा जज के ना सुनने पर अपनी गवाही को रोक भी सकते है तथा दुसरे जज की निगरानी में गवाही की मांग कर सकते है|
अगर आप स्टेट केस में अदालत में गवाही के लिए आये है तो आपको आने व जाने का खर्चा कोर्ट की तरफ से मिलता है वो आप की दूरी व साधन के हिसाब से दिया जाता है| वो कितना भी हो सकता है|
तो ये थी कोर्ट में गवाही देने से जुडी कुछ बाते जिनका अगर एक गवाह ध्यान रखे तो ना सिर्फ उसका केस मजबूत होगा बल्कि वो खुद भी परेशानी से बच जाएगा|
हमें उम्मीद है कि इन सब जानकारियों के साथ अब अगर आपको कभी कोर्ट में गवाही देनी पड़े तो आप घबरायेंगे नहीं क्योंकि अब आपको अपने अधिकारों का ज्ञान हो चुका है|आशा करते हैं ये वीडियो आपको पसंद आया होगा| ऐसे ही वीडियोज देखने के लिए आप लीला के साथ जुड़े रह सकते हैं| वीडियो देखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद|