साधारण परिस्थितियों में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन को इस बार विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपन्न करना पड़ा। आज जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है, इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता पहली बार संसार की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मंच जी-20 पर ही देखी गई। इस मंच पर सदस्य देशों ने जो संकल्प लिए हैं, उन्हें वे पूरा कर ले गए तो कोरोना के अभिशाप से निपटने में दुनिया को इससे काफी मदद मिलेगी। कोरोना वायरस के असर से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाली मार का मुकाबला करने के लिए जी-20 देशों ने पांच ट्रिलियन डॉलर खर्च करने का फैसला किया है। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सऊदी अरब के शाह सलमान ने जी-20 के नेताओं से अपील की कि वे वैश्विक महामारी से निपटने के लिए ‘कारगर एवं समन्वित कार्यवाही’ की ओर बढ़ें। उन्होंने जी-20 देशों से विकासशील देशों की मदद करने का भी आग्रह किया। इतने सारे राष्ट्राध्यक्षों के विडियो संवाद का यह पहला अवसर था, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, जापान के पीएम शिंजो आबे और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व खाद्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन समेत कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर सच में दुनिया की हालत सुधारनी है तो हमें केवल आर्थिक पहलू पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय जनकल्याण पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस बहस में नहीं जाना चाहिए कि कोरोना वायरस का संक्रमण कहां से या कैसे शुरू हुआ। जी-20 के सदस्य देशों को मिलकर इस वैश्विक संक्रमण को दूर करने के उपायों पर बात करनी चाहिए। भारत इस महामारी के प्रभावों से निपटने के लिए कई नीतिगत उपाय कर रहा है। शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने मुख्य ब्याज दर रेपो रेट में 0.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट में 0.90 प्रतिशत की कटौती घोषित की, जो एक दिन में ब्याज दरों में अभी तक का सबसे बड़ा बदलाव है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इन कदमों से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए 3.74 लाख करोड़ रुपये के बराबर अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। सभी वाणिज्यिक बैंकों और ऋणदाता संस्थानों को छूट दी गई है कि वे किसी भी कर्ज की किस्तें तीन महीने तक न जमा होने पर भी उसे बट्टे खाते में न डालें। उम्मीद करें कि तमाम देश अपने यहां ऐसे सभी उपाय करेंगे, जिनसे घर बैठने के बावजूद लोगों का जीवन चलता रहे, वे अपनी कर्ज अदायगी को लेकर परेशान न हों, और जैसे ही महामारी काबू में आनी शुरू हो, विश्व अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की शुरुआत भी हो जाए।
भारत में कोविड-19 से लड़ाई के लिए जो टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है, उसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह दुनिया का, बल्कि इतिहास का सबसे बड़ा अभियान है। भारत को श्रेय जाता है कि उसने न केवल त्वरित गति से वैक्सीन तैयार की, बल्कि देश के कोने-कोने में पहुुंचाया। अभियान के पहले चरण में करीब तीन करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। यह टीकाकरण उस भरोसे की वापसी है, जिसका पिछले दस महीनों से हमें इंतजार है। भारत केवल अपने लिए ही नहीं, दुनियाभर के लिए टीके बना रहा है। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक देश की उस आबादी को टीका लग जाएगा, जिसे इसकी सबसे पहले जरूरत है। इसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 3,600 केंद्र वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़ेंगे। पहले चरण में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 से अधिक उम्र के लोग और कोमॉर्बिडिटी वाले लोगों को टीका लगाया जा रहा है। भारत के इस अभियान के कुछ दिन पहले दुनिया में टीकाकरण का अभियान शुरू हुआ है। वैक्सीनेशन की वैश्विक गणना करने वाली वेबसाइट के अनुसार 15 जनवरी तक तीन करोड़ 57 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना के टीके लगाए जा चुके थे। भारत का अभियान शुरू होने के बाद यह संख्या तेजी से बढ़ेगी।इस सफलता के बावजूद और टीकाकरण शुरू होने के पहले ही कुछ स्वार्थी तत्वों ने भ्रामक बातें फैलानी शुरू कर दी हैं। उन बातों की कलई टीकाकरण शुरू होने के बाद खुलेगी, क्योंकि अगले कुछ दिनों के भीतर लाखों व्यक्ति टीके लगवा चुके होंगे। चूंकि दुष्प्रचार यह है कि राजनेता टीके लगवाने से बच रहे हैं, इसलिए उसका जवाब देना जरूरी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा, जब भी आपका नंबर आए वैक्सीन जरूर लें, लेकिन नियम न तोड़ें। उनका आशय है कि वीआईपी होने का लाभ नहीं उठाएं, पर जब टीके को लेकर भ्रांत-प्रचार है, तब प्रतीक रूप में ही सही कुछ नेता टीकाकरण में शामिल होते तो अच्छा था। इनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कुछ मुख्यमंत्री भी हो सकते हैं। इससे आशंकाओं को दूर करने में मदद मिलती, जो फैलाई जा रही हैं। एक सप्ताह पहले शनिवार 9 जनवरी को ब्रिटेन की 94 वर्षीय महारानी एलिज़ाबेथ और उनके 99 वर्षीय पति प्रिंस फिलिप को कोविड-19 का टीका लगाया गया। ब्रिटेन में वैक्सीन की वरीयता सूची में उनका भी नाम था। अमेरिका के नव-निर्वाचित जो बाइडेन और वर्तमान उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने भी टीका लगवाया है। इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू टीका लगवा चुके हैं। रिचर्ड एटनबरो जैसे तमाम सेलिब्रिटी टीके लगवा रहे हैं। यह सब इसलिए ताकि लोगों का विश्वास बढ़े।
साक्षात्कार.......
छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता को कैसे रोका जाए : By राजेश कुमार झा , दुमका
छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता को कैसे रोका जाए। इस गंभीर प्रश्न पर साक्षात्कार में कई विद्वान शिक्षकों ने स्कैनर इंडिया को अपने को व्यक्त किया।
अंग्रेजी के शिक्षक प्रभात कांति शर्मा ने बताया कि अविभावक अपने व्यवहार को मर्यादा में रखें ताकि बच्चों पर इसका साकारात्मक प्रभाव पड़े। पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति को वढ़ावा देने वाले रामायण, महाभारत जैसे महाग्रंथों को शामिल किया जाए। शिक्षक रंजीत सिंह ने छात्रों को राजनैतिक संगठनों से दूर रहने की बात कही तथा शिक्षकों और अविभावकों को स्वस्थ वातावरण में उचित मार्गदर्शन देने पर बल दिया। शशांक चक्रवर्ती ने कहा कि वर्तमान समय में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने छात्रों में योगाभ्यास तथा ध्यान करने की प्रवृत्ति पर बल दिया ताकि उन्हें मानसिक तनाव से मुक्ति मिल सके। वहीं रामविन्दु ने कभी कभी पाठ्यपुस्तक से महापुरूषों के चरित्र तथा कहानियों को बताकर उनके अन्दर अनुशासन की प्रवृति पर ध्यान देने की बात कही। शिक्षक अशोक गण ने कहा कि पढाई का बढता बोझ, बच्चों में बढती कुप्रवृतियाॅं,दोषपूर्ण शिक्षा पद्वति, स्माटफोन का बढता क्रेज इत्यादि बच्चों में अनुशासनहीनता विकसित कर रही है। समाजशास्त्र के शिक्षक वृजेश शुक्ला ने कहा कि बच्चे देश के भविश्य और भावी कर्णधार हैं पर वो अनुशासनहीनता के शिकार हो रहे हैं। यह चिंता का विषय है। गिरिजा शंकर ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही अनुशासन का पाठ पढाया जाना चहिए। उनके अच्छे कामों की सराहना की जानी चाहिए और गलतियों को सुधारने का मौका दिया जाए। अंत में शिक्षिका अंजलि चक्रवर्ती ने नैतिक शिक्षा के प्रसार पर बल देते हुए शिक्षकों और अभिभावकों का आचरण भी बच्चों के साथ मित्रवत और स्नेहिल रखने की बात कही, साथ्ज्ञ ही माता पिता को चाहिए कि बच्चों की हर जिद पूरा न करें। वर्तमान समय में स्मार्टफोन का अधिक प्रयोग बच्चों में अनुशासनहीनता का कारण है।
साक्षात्कार
ब्रम्ह्मदेव महतो की कलम से.....................
सी,बी,एस ई नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त सीनियर सेकेन्ड्री सर्वोदय निकेतन डटमामोंड कुजु , रामगढ़ के प्राचार्य श्री सूर्यनाथ यादव से वर्तमान नई शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों में बढ़ती अनुशासनहीनता और कोरोना कोविड 19 जैसी महामारी बीमारी विषय पर स्कैनर इंडिया की ओर से लिए गए साक्षात्कार में निम्नलिखित प्रश्न पुछे गए:- सवाल:- आपने शिक्षा के क्षेत्र में आने का निर्णय किस प्रकार लिया ? उत्तर:- सबसे पहले मेरी ओर से आपको नमस्कार आरंम्भ में तो कोई ऐसा निर्णय नही था कि हम शिक्ष के क्षेत्र में जाएॅंगें। परन्तु जैसे जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त करते गए निर्णय भी बदलते गए। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के समय प्रशासनिक सेवा में जाने का भी निर्णय लिया और उसके लिए प्रयास भी किया। परन्तु सफलता नही मिली और शिक्षा के क्षेत्र में आना पड़ा। सवाल:- नई शिक्षा नीति की क्या विशेषताएॅं है? उत्तर:- देखिए ! अभी 2020 में जो नई शिक्षा नीति लागू हुई है,उसमें भी वो सारी बातें हैं जो 1986 की शिक्षा नीति में थी। हमारे समझ से इसमें कोई नई चीज नही दिखाई देती है जो पहले की शिक्षा नीति में न हो। उसी शिक्षा नीति में थोड़ा बहुत परिवर्तन करके उसे नई शिक्षा नीति का नाम दे दिया गया है। सवाल:- शिक्षक विद्यार्थी के बदलते समीकरण को आप किस रूप में देखते हैं ? उत्तर:- हाॅं वर्तमान समय में शिक्षक विद्यार्थी के बीच जो संबंध है, उसमे बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। आज शिक्षक और विद्यार्थी के बीच जो सम्मान की भावना होनी चाहिए, उसमें बहुत बदलाव हुआ है। जब शिक्षक विद्यार्थी विद्याालय परिसर में होते तो उनमें सम्मान की भावना तो दिखाई देती है,परन्तु विद्यालय से बाहर विद्यार्थी शिक्षक को वह सम्मान नही देते, जो देना चाहिए था। सवााल: बच्चों में बढती अनुशासनहीनता के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते है ? उत्तरः वैसे तो बच्चे जन्मजात अनुशासनहीन नही होते हैं और विद्याालय में भी उन्हें अनुशासनहीन में रहने की शिक्षा दी जाती है। परिवार में भी माता पिता बच्चों को अनुशासन में रहने की शिक्षा देते है, परन्तु बच्चे जब अपने परिवार से बाहर व विद्यालय से बाहर जिस परिवेश में प्रवेश करते हैं वह परिवेश ही सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करता है, और इस परिवेश में ही बच्चे अनुशासनहीनता की ओर बढ़ते चले जाते हैं। सवाल: कोरोना काल में आप शिक्षक एवं विद्यार्थियों को क्या संदेश देना चाहते हैं ? उत्तर:- कोरोना एक भयंकर आपदा है। इससे बचने के लिए सरकार द्वारा बहुत सारे दिशा निर्देश दिए गए हैं। इस आपदा से बचने के लिए चाहे वह शिक्षक हो या विद्यार्थी , सारकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए और अपने आस पास के लोगों को भी इस आपदा से बचने के लिए जागरूक करना चाहिए। जैसे मास्क पहनना, साबून से हाथ धोना, सेनेटाईजर का प्रयोग करना और दो गज की दूरी बनाए रखना,सभी के लिए अनिवार्य होना चाहिए।